पृथक्त्व
From जैनकोष
(1) तीन से ऊपर और नौ से नीचे की संख्या । महापुराण 5.286
(2) विचारों की अनेकता या नानात्व पृथक्त्व कहलाता है । योगों से क्रान्त होकर यह पृथक्त्व ध्यान का विषय बन जाता है । हरिवंशपुराण 56. 57
(1) तीन से ऊपर और नौ से नीचे की संख्या । महापुराण 5.286
(2) विचारों की अनेकता या नानात्व पृथक्त्व कहलाता है । योगों से क्रान्त होकर यह पृथक्त्व ध्यान का विषय बन जाता है । हरिवंशपुराण 56. 57