विक्रान्त
From जैनकोष
(1) यादवों का पक्षधर एक अर्धरथ स्व । हरिवंशपुराण 50. 85, 132
(2) रत्नप्रभा पृथिवी के तेरह इन्द्रक बिलों में तेरहवाँ इन्द्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में एक सौ अड़तालीस और विदिशाओं में एक सो चवालीस श्रेणीबद्ध बिल हैं । हरिवंशपुराण 4.46-77, 101-102