शिल्पकर्म
From जैनकोष
तीर्थंकर वृषभदेव द्वारा बताये गये आजीविका के छ: कर्मों में छठा कर्म । हस्त-कौशल से जीविकोपार्जन करना शिल्पकर्म कहलाता है । चित्रकला, पत्रच्छेदन आदि शिल्पकार्य के भेद है । हरिवंशपुराण 16.179-182, हरिवंशपुराण 9.35
तीर्थंकर वृषभदेव द्वारा बताये गये आजीविका के छ: कर्मों में छठा कर्म । हस्त-कौशल से जीविकोपार्जन करना शिल्पकर्म कहलाता है । चित्रकला, पत्रच्छेदन आदि शिल्पकार्य के भेद है । हरिवंशपुराण 16.179-182, हरिवंशपुराण 9.35