संज्वलन
From जैनकोष
एक कषाय । यह चार प्रकार की होती है― संज्वलन-क्रोध, संज्वलन-मान, संज्वलन-माया और संज्वलन-लोभ । अप्रत्याख्यानावरण-क्रोध, मान, माया और लोभ तथा प्रत्याख्यान-क्रोध, मान, माया और लोभ इन आठ कषायों का क्षय होने के पश्चात् इस कषाय का नाश होता है । महापुराण 20.245-247