परविवाहकरण
From जैनकोष
स्वदारसंतोषव्रत के पाँच अतिचारों में इस नाम का एक अतिचार । अपनी या अपने संरक्षण में रहने वाली संतान के सिवाय दूसरों की संतान का विवाह करना, कराना इस अतिचार में आता है । हरिवंशपुराण 54. 174-175
स्वदारसंतोषव्रत के पाँच अतिचारों में इस नाम का एक अतिचार । अपनी या अपने संरक्षण में रहने वाली संतान के सिवाय दूसरों की संतान का विवाह करना, कराना इस अतिचार में आता है । हरिवंशपुराण 54. 174-175