बुद्धिषेणा
From जैनकोष
साकेतपुर निवासिनी एक गणिका । यह प्रीतिंकर मुनि की भक्त थी । इसका दूसरा नाम बुद्धिसेना था । मुनि विचित्रमति इस वेश्या की प्राप्ति के लिए मुनिपद त्याग कर राजा गन्धमित्र का रसोइया बन गया था । महापुराण 59.258-267, हरिवंशपुराण 27.97-104