माप्रर्गभावना
From जैनकोष
तीर्थंकर नामकर्म के बन्ध की कारण सोलह भावनाओं में एक भावना । इसमें ज्ञान, तप, जिनेन्द्र की पूजा आदि के द्वारा धर्म का प्रकाश फैलाया जाता है । महापुराण 63. 329, 331, हरिवंशपुराण 34.147
तीर्थंकर नामकर्म के बन्ध की कारण सोलह भावनाओं में एक भावना । इसमें ज्ञान, तप, जिनेन्द्र की पूजा आदि के द्वारा धर्म का प्रकाश फैलाया जाता है । महापुराण 63. 329, 331, हरिवंशपुराण 34.147