मोदक्रिया
From जैनकोष
उपासक की त्रेपन क्रियाओं में पाँचवी किया । यह गर्भ-पुष्टि के लिए नौवें मास में की जाती है । इसमें गर्भिणी के शरीर पर मात्रिकाबन्ध (बीजाक्षर) लिखा जाता है । उसे मंगलमय आभूषण आदि पहनाये जाते हैं तथा रक्षा के लिए कंकणसूत्र बाँधा जाता है । इस क्रिया में निम्न मन्त्र पढ़े जाते हैं― सज्जाति-कल्याणभागी भव, सद्गृहितकल्याणभागी भव, वैवाहककल्याणभागी भव, मुनीन्द्रकल्याणभागी भव, सुरेन्द्रकल्याणभागी भव, मन्दराभिषेक कल्याणभागी भव, यौवराज्यकल्याणभागी भव, महाराजकल्याणभागी भव, परमराज्यकल्याणभागी भव और अर्हन्त्यकल्याणमागी भव । महापुराण 38. 55, 83-84, 40.103-107