मंदरार्य
From जैनकोष
पुन्नाट संघ की गुर्वावली के अनुसार आप अर्हद्बलि के शिष्य तथा मित्रवीर के गुरु थे। समय वी. नि. 580 (ई. 53)–देखें इतिहास - 7.8।
पुन्नाट संघ की गुर्वावली के अनुसार आप अर्हद्बलि के शिष्य तथा मित्रवीर के गुरु थे। समय वी. नि. 580 (ई. 53)–देखें इतिहास - 7.8।