वसंततिलका
From जैनकोष
(1) अंजना की सखी । इसका अपर नाम वसन्तमाला था । इसने अंजना के समक्ष पवनंजय की प्रशंसा की थी । यह आकाश में मण्डलाकार भ्रमण करने में समर्थ थी । पद्मपुराण 15.147, 160
(2) पद्मिनी नगरी का निकटवर्ती एक उद्यान । विंध्यश्री को सर्प के काटने पर सुलोचना ने उसे पंच-नमस्कार मंत्र इसी उद्यान में सुनाया था । महापुराण 45.155, पद्मपुराण 39.95-97