विंध्यश्री
From जैनकोष
विन्धयपुरी के राजा विन्ध्यकेतु और रानी प्रियंगुखी की पुत्री । वसन्ततिलका उद्यान में इसे सर्प ने काट दिया था । सुलोचना ने इसे पंच नमस्कार मंत्र सुनाया था । मंत्र के प्रभाव से यह मरणोपरान्त गंगा देवी हुई । महापुराण 45. 153-116