शांडिल्य
From जैनकोष
(1) गुरु ध्रौव्य का शिष्य । क्षीरकदम्बक, वैन्य, उदंच और प्रावृत इसके गुरु भाई थे । महाकाल देव ने इसका रूप धारण करके पर्वत के नेतृत्व में रोग फैलाकर उनकी उसने पर्वत के द्वारा शान्ति करायी थी । राजा सगर भी पर्वत के पास निरोग हो गया था । इसने अश्वमेघ, अंजमेध, गोमेध और राजसूय यज्ञों को चालू किया था । अपने चातुर्य से इसने सगर और सुलसा को भी यज्ञ में होम दिया था । हरिवंशपुराण 23.134-146
(2) एक तापस । अयोध्या के राजा सहस्रबाहु इसके बहनोई तथा चित्रमती इसकी बहिन थी । परशुराम को सहस्रबाहु की समस्त सन्तान नष्ट करने में उद्यत देखकर इसने गर्भवती चित्रमती को अज्ञात रूप से ले जाकर सुबन्धु मुनि के पास रखा था । सुभौम चक्रवर्ती यही जन्मा था । अपने भानेज का सुभौम नाम इसी ने रखा था । महापुराण 65.56-57, 115-125
(3) मगध देश के राजगृह नगर का एक वेदों का जानने-वाला ब्राह्मण । पारशरी इसकी स्त्री थी । इसके पुत्र का नाम स्थावर था । महापुराण 74.82-83, वीरवर्द्धमान चरित्र 3.2-3