सुखानुबंध
From जैनकोष
सर्वार्थसिद्धि/7/37/372/6 अनुभूतप्रीतिविशेषस्मृतिसमन्वाहार: सुखानुबन्ध:। = अनुभव में आये हुए विविध सुखों का पुन:-पुन: स्मरण करना सुखानुबन्ध है। ( राजवार्तिक/7/37/6/559/7 )
राजवार्तिक/ हि./7/37/581 पूर्वे सुख भोगे थे तिनि सूं प्रीति विशेष के निमित्त तै बार-बार याद करना तथा वर्तमान में सुख ही चाहना सो सुखानुबन्ध है।