स्निग्ध
From जैनकोष
सर्वार्थसिद्धि/5/33/304/5 बाह्याभ्यन्तरकारणवशात् स्नेहपर्यायाविर्भावात् स्निह्यते स्मेति स्निग्ध:।... स्निग्धत्वं चिक्क्रणगुणलक्षण: पर्याय:। = बाह्य और आभ्यन्तर कारण से जो स्नेह पर्याय उत्पन्न होती है उससे पुद्गल स्निग्ध कहलाता है।... स्निग्ध पुद्गल का धर्म स्निग्धत्व है।