ज्ञानसागर
From जैनकोष
काष्ठा संघ नन्दितट गच्छ। गुरु परमपरा–वैश्वसेन विद्याभूषण, ज्ञान सागर। एक ब्रह्मचारी थे। कृतियें–अक्षर बावनी आदि हिन्दी रचनायें, कथा संग्रह तथा ब्र꠶मतिसागर के पठनार्थ एक गुटका। समय–वि.श.१७ (ई.श.१७ पूर्व)। (ती./३/४४२), (हिन्दी जैन साहित्य इतिहास/३७/डा꠶कामता प्रसाद)।
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