अनैकाग्रय
From जैनकोष
प्रोषधोपवास व्रत का एक अतिचारव्रत में चित्त की एकाग्रता नहीं रखना । हरिवंशपुराण 58.181 अंतकृत― (1) कर्मों का क्षय करके मोक्ष के प्राप्तकर्ता केवली-मुनि । मुनियों का ‘‘अंतकृत्सिद्धेभ्यो नमो नम:’’ इस पीठिका मंत्र से नमन किया जाता है । महापुराण 40.20, हरिवंशपुराण 61.7
(2) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.168