अविपाकजा
From जैनकोष
सविपाक और अविपाक के भेद से निर्जरा के दो भेदों में दूसरा भेद । उदय में अप्राप्त कर्मों की तपश्चरण आदि उपायों से समय से पूर्व उदीरणा द्वारा की गयी कर्मों की निर्जरा । हरिवंशपुराण 58.293, 295, वीरवर्द्धमान चरित्र 11.81
सविपाक और अविपाक के भेद से निर्जरा के दो भेदों में दूसरा भेद । उदय में अप्राप्त कर्मों की तपश्चरण आदि उपायों से समय से पूर्व उदीरणा द्वारा की गयी कर्मों की निर्जरा । हरिवंशपुराण 58.293, 295, वीरवर्द्धमान चरित्र 11.81