जीवविचय
From जैनकोष
धर्मध्यान के दस भेदों मे तीसरा भेद । इस ध्यान में द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक नयों से जीव के स्वरूप का चिंतन किया जाता है । हरिवंशपुराण 56.42-43
धर्मध्यान के दस भेदों मे तीसरा भेद । इस ध्यान में द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक नयों से जीव के स्वरूप का चिंतन किया जाता है । हरिवंशपुराण 56.42-43