निश्चयसंपक्चारित्र
From जैनकोष
अंतरंग और बहिरंग सभी प्रकार के संकल्पों को त्याग कर अपनी आत्मा के स्वरूप में विचरण करना । वीरवर्द्धमान चरित्र 18.29
अंतरंग और बहिरंग सभी प्रकार के संकल्पों को त्याग कर अपनी आत्मा के स्वरूप में विचरण करना । वीरवर्द्धमान चरित्र 18.29