विभंग-विबोध
From जैनकोष
मिथ्या अवधिज्ञान । नारकियों को पर्याप्तक होते ही यह ज्ञान प्राप्त हो जाता है । यही कारण है कि वे पूर्वभव के वैर विरोध का स्मरण कर लेते हैं । उन्हें नरक के दुःख भोगने के कारण भी इससे याद आ जाते हैं । कमठ के जीव शंबर असुर ने इसी ज्ञान से अपने पूर्वभव का वैर जाना था और उसने तीर्थंकर पार्श्वनाथ पर अनेक उपसर्ग किये थे । महापुराण 10.103, 46.249, 73. 137-138, वीरवर्द्धमान चरित्र 3.120-128