संसारानुप्रेक्षा
From जैनकोष
== सिद्धांतकोष से == देखें अनुप्रेक्षा ।
पुराणकोष से
बारह अनुप्रेक्षाओं में एक अनुप्रेक्षा । द्रव्य, क्षेत्र, काल, भव और भाव रूप परिवर्तनों के कारण संसार दुःख रूप है ऐसी भावना करना संसारानुप्रेक्षा है । महापुराण 11. 106, पद्मपुराण 14.238-239, पांडवपुराण 25.87-88, वीरवर्द्धमान चरित्र 11.23-24