हरिशर्मा
From जैनकोष
राजा दृढ़ग्राही का मित्र । राजा ने जिनदीक्षा ली और यह तापस हो गया था । आयु के अंत में मरकर यह ज्योतिष्क देव हुआ और दृढ़ग्राही सौधर्म स्वर्ग में देव । महापुराण 65.61-65
राजा दृढ़ग्राही का मित्र । राजा ने जिनदीक्षा ली और यह तापस हो गया था । आयु के अंत में मरकर यह ज्योतिष्क देव हुआ और दृढ़ग्राही सौधर्म स्वर्ग में देव । महापुराण 65.61-65