GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 136
From जैनकोष
अरहंतसिद्धसाहुसु भत्ती धम्मम्मि जा य खलु चेट्ठा (१३६)
अणुगमणं पि गुरूणं पसत्थरागो त्ति वुच्चंति ॥१४४॥
अरहंतसिद्धसाहुसु भत्ती धम्मम्मि जा य खलु चेट्ठा (१३६)
अणुगमणं पि गुरूणं पसत्थरागो त्ति वुच्चंति ॥१४४॥