जस्स जदा खलु पुण्णं जोगे पावं च णत्थि विरदस्स (१४३)
संवरणं तस्स तदा सुहासुहकदस्स कम्मस्स ॥१५१॥
पूर्व पृष्ठ
अगला पृष्ठ