धम्मादीसद्दहणं सम्मत्तं णाणमंगपुव्वगदं (१६०)
चिट्ठा तवं हि चरिया ववहारो मोक्खमग्गोत्ति ॥१६८॥
पूर्व पृष्ठ
अगला पृष्ठ