GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 21 - अर्थ
From जैनकोष
एवम् इसप्रकार गुणपर्ययैः सहित गुण-पर्याय सहित जीवः जीव संसरन् संसरण करता हुआ भावम् भाव, अभावम् अभाव, भावाभावम् भावाभाव च और अभावभावम् अभावभाव को करोति करता है ।
एवम् इसप्रकार गुणपर्ययैः सहित गुण-पर्याय सहित जीवः जीव संसरन् संसरण करता हुआ भावम् भाव, अभावम् अभाव, भावाभावम् भावाभाव च और अभावभावम् अभावभाव को करोति करता है ।