खेद
From जैनकोष
नि.सा. (ता.वृ./६/१४/४) अनिष्टलाभ: खेद:।=अनिष्ट की प्राप्ति (अर्थात् कोई वस्तु अनिष्ट लगना) वह खेद है।
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नि.सा. (ता.वृ./६/१४/४) अनिष्टलाभ: खेद:।=अनिष्ट की प्राप्ति (अर्थात् कोई वस्तु अनिष्ट लगना) वह खेद है।
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