चल शील
From जैनकोष
भ.आ./वी./१८०/३९८/२ कंदर्पकौत्कुच्याभ्यां चलशील:।=कंदर्प और कौत्कुच्य इन दो प्रकार के वचनों का पुन: पुन: प्रयोग करना चल शीलता है।
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भ.आ./वी./१८०/३९८/२ कंदर्पकौत्कुच्याभ्यां चलशील:।=कंदर्प और कौत्कुच्य इन दो प्रकार के वचनों का पुन: पुन: प्रयोग करना चल शीलता है।
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