प्रतिष्ठा
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
षट्खंडागम 13/5-5/ सू.40/243 धरणी धारणा ट्ठवणा कोट्ठा पदिट्ठा ।40। ... प्रतिष्ठंति विनाशेन बिना अस्यामर्था इति प्रतिष्ठा । = धरणी, धारणा, स्थापना, कोष्ठा और प्रतिष्ठा ये एकार्थ नाम हैं ।40। जिसमें विनाश के बिना पदार्थ प्रतिष्ठित रहते हैं वह बुद्धि प्रतिष्ठा है ।
पुराणकोष से
प्रतिष्ठाशास्त्रों में कथित विधि के अनुसार प्रतिमाओं की स्थापना । महापुराण 54.48-49