प्रस्ताव
From जैनकोष
न्यायविनिश्चय/ टी./1/165/531/3 प्रस्तूयते प्रमाण-फलत्वेनाधिक्रियते इति प्रस्तावः । = प्रस्तुयते अर्थात् प्रमाण के फल रूप से जिसका ग्रहण किया जाता है, ऐसा हेयोपादेय तत्त्व का निर्णय प्रस्ताव है ।
न्यायविनिश्चय/ टी./1/165/531/3 प्रस्तूयते प्रमाण-फलत्वेनाधिक्रियते इति प्रस्तावः । = प्रस्तुयते अर्थात् प्रमाण के फल रूप से जिसका ग्रहण किया जाता है, ऐसा हेयोपादेय तत्त्व का निर्णय प्रस्ताव है ।