वसुंधर
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
महापुराण/69/ श्लोक सं.- ऐरावत क्षेत्र के श्रीपुर नगर का राजा था।74। स्त्री की मृत्यु से विरक्त हो दीक्षा धार महाशुक्र स्वर्ग में उत्पन्न हुआ।75-77। यह जयसेन चक्रवर्ती के पूर्व का तीसरा भव है। - देखें जयसेन ।
पुराणकोष से
(1) तीर्थंकर वृषभदेव के इक्कीसवें गणधर । हरिवंशपुराण 12.58
(2) कुरुवंशी एक नृप । यह श्रीवसु का पुत्र और वसुरथ का पिता था । हरिवंशपुराण 45.26-27
(3) चक्रवर्ती जयसेन के तीसरे पूर्वभव का जीव-ऐरावत क्षेत्र के श्रीपुर नगर का राजा । यह अपने विनयंधर पुत्र को राज्य सौंपकर संयमी हो गया था तथा आराधनापूर्वक मरण करके महाशुक्र स्वर्ग में देव हुआ । महापुराण 69.74-77
(5) राजा जीवंधर और रानी गन्घर्वदत्ता का पुत्र । जीवंधर ने इसे राज्य देकर संयम धारण कर लिया था । महापुराण 75.680-681
(5) दशानन का पक्षधर एक नृप । इंद्र विद्याधर के साथ हुए रावण के युद्ध में यह रावण के साथ था । पद्मपुराण 10.28,37
(6) बलभद्र नंदिषेण के पूर्व जन्म का नाम । पद्मपुराण 20.233