व्यापक
From जैनकोष
धवला 4/1, 3, 1/8/2 आगासं गगणं देवपथं गोज्झगाचरिदं अवगाहणलक्खणं आधेयं वियापगमाधारो भूमि त्ति एयट्ठो। =
- आकाश, गगन, देवपथ, गुह्यकाचरित (यक्षों के विचरण का स्थान), अवगाहनलक्षण, आधेय, व्यापक, आधार और भूमि ये सब नोआगम द्रव्य क्षेत्र के एकार्थवाचक नाम हैं–देखें क्षेत्र - 1.13।
- जीव शरीर में व्यापक है, पर सर्व व्यापक नहीं है–देखें जीव - 3।