विप्लुत
From जैनकोष
न्यायविनिश्चय/ वृ./1/49/311/21 विविधं प्लुतं प्लवनं तरंगदिषु यस्य स विप्लुतो जलचंद्रादिः। = विविध प्रकार से प्लुत सो विप्लुत अर्थात् जिसका तरंगादि में अनेक प्रकार से डूबना या तैरना हो रहा है, ऐसे जल में पड़े हुए चंद्र प्रतिबिंब आदि विप्लुत हैं।