पांडुकंबला
From जैनकोष
सुमेरु पर्वत के शिखर पर स्थित पांडुक वन की एक शिला । यह रजतमयी, अर्द्धचंद्राकार, आठ योजन ऊँची, सौ योजन योजन लंबी और पचास योजन चौड़ी है । इसकी लंबाई दक्षिणोत्तर दिशा में है । इस शिला पर पाँच सौ धनुष ऊँचे तथा इतने ही चौड़े रत्नमयी तीन पूर्वमुखी सिंहासन बने हुए है । इनमें दक्षिण सिंहासन सौधर्मेंद्र का, उत्तर सिंहासन जिनेंद्र देव का होता है । जंबूद्वीप में उत्पन्न हुए तीर्थंकरों का जन्माभिषेक इसी शिला पर किया जाता है । पद्मपुराण 3. 175-176, हरिवंशपुराण 5.347-352