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- ...) सूर्यकांत, (31) गैरिक, (32) चंदनमणि, (33) पन्ना (34) पुखराज, (35) नीलम, (36) मसारगल्लन ।</p> <p> प्रश्न 36―चतुरिंद्रिय जीवों की कितनी ...27 KB (214 words) - 11:55, 17 May 2021
- ...12 KB (53 words) - 11:56, 17 May 2021
- ...और चिरस्थायी है। 25। <span class="GRef">( पंचास्तिकाय / तात्पर्यवृत्ति/16/36/9 )</span>। </span><br /> <span class="GRef"> पंचास्तिकाय / तात्पर्यवृत्ति/16/36/16 </span><span class="SanskritText"> एते चार्थव्यं ...53 KB (951 words) - 14:52, 29 February 2024
- ...्भावों को पंचेंद्रिय विषयविजयों से दूर करना । यों 36 में 5 का गुणा होने पर 365=180 प्रकार के शील बने ।</p> ...26 KB (53 words) - 11:56, 17 May 2021
- ...धर्म क्रियाओं के संबंध में स्वमत परमत की क्रियाओं का विशेष वर्णन है । इसके 36 हजार पद हैं । स्थानांग में जी ...40 KB (128 words) - 11:56, 17 May 2021
- | कालोद समुद्र|| 18 योजन|| (9)|| (4½)|| 36 योजन|| (18)|| (9) ...=20|| बादर तेज=35|| बेंद्रिय 51|| चौंद्रिय=56|| चौंद्रिय 61|| वात=21|| तेज=36|| वात=22|| तेज=37 ...40 KB (1,191 words) - 15:08, 26 February 2024
- ...होता है? समाधान:—भावक भाव का विवेक बताते हुए यही बात श्रीमत्कुंदकुंदाचार्य 36 वीं गाथा में कहते है— [[ वर्णीजी-प्रवचन:समयसार - गाथा 36 | अगला पृष्ठ ]] ...23 KB (25 words) - 16:35, 2 July 2021
- ...39 KB (673 words) - 17:20, 2 February 2024
- ...ल्हुक्खेण दुराहिएण। णिद्धस्स ल्हुक्खेण हवेदि बंधो जहण्णवज्जे विसमे समे वा।36।</span> = ...्ष पुद्गल के साथ जघन्य गुण के सिवा विषम अथवा सम गुण के रहने पर बंध होता है।36। <span class="GRef">( प्रवचनसार / तत्त्वप ...50 KB (1,154 words) - 18:58, 5 February 2024
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:चारित्रपाहुड - गाथा 36 | अगला पृष्ठ ]] ...17 KB (51 words) - 11:55, 17 May 2021
- <td>36</td> ...94 KB (7,374 words) - 22:36, 17 November 2023
- ...ो जिनेश्वर की आज्ञा से श्रद्धान करने वाला आत्मा सम्यक्त्व का आराधक होता है।36।</span><br/> ...47 KB (940 words) - 10:08, 22 March 2024
- <p> प्रश्न 36―21वां बंधापसरण कब और किसका हो ...र्याप्ति, (31) शुभ, (32) सुभग, (33) सुस्वर, (34) स्थिर, (35) आदेयनामकर्म, (36) तीर्थंकरनामकर्म ।</p> ...70 KB (471 words) - 11:55, 17 May 2021
- <p> <strong>36. अवशिष्ट समय को सत्पथ में व्य ...17 KB (52 words) - 11:57, 17 May 2021
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:रयणसार - गाथा 36 | पूर्व पृष्ठ ]] ...17 KB (17 words) - 11:57, 17 May 2021
- ...19 KB (63 words) - 11:57, 17 May 2021
- <p class="HindiText"> <span class="GRef">(महापुराण सर्ग संख्या 21/31-36), (चारित्रसार पृष्ठ 167/4)</span></p> ...38 KB (742 words) - 14:40, 27 November 2023
- [[ वर्णीजी-प्रवचन:मोक्षपाहुड - गाथा 36 | पूर्व पृष्ठ ]] ...22 KB (63 words) - 11:56, 17 May 2021
- ...12 प्रकार के तप और 6 आवश्यक अथवा महव्रतसमिति के स्थान में 10 धर्म लें, यों 36 उनके मूल गुण बनाये हैं, किंतु ...नका प्रसार जब आचार्य महाराज भली प्रकार करें तब ही तो करा सकते हैं। इस कारण 36 मूल गुण बताये हैं, किंतु आचार ...52 KB (129 words) - 16:34, 2 July 2021
- ...39 KB (532 words) - 14:40, 27 November 2023