अग्निसह
From जैनकोष
(महापुराण सर्ग संख्या ७४/७४) एक ब्राह्मण पुत्र था। यह वर्धमान भगवान्का दूरवर्ती पूर्वभव है - दे. वर्धमान।
अज्ञात –
सर्वार्थसिद्धि अध्याय संख्या /६/६/३२३ मदात्प्रमादाद्वानवबुध्य प्रवृत्तिरज्ञातम्।
= मद या प्रमाद के कारण बिना जाने प्रवृत्ति करना अज्ञात भाव है।
( राजवार्तिक अध्याय संख्या ६/६/४/५१२/४)।