अंतर्द्वीपजम्लेच्छ
From जैनकोष
- देखें म्लेच्छ ।
सर्वार्थसिद्धि/3/36/ पृष्ठ/पंक्ति म्लेच्छा द्विविधाः - अंतर्द्वीपजा कर्मभूमिजाश्चेति। (230/3)...ते एतेऽंतर्द्वीपजा म्लेच्छाः। कर्मभूमिजाश्च शकयवनशवरपुलिंदादयः। (231/6)। = म्लेच्छ दो प्रकार के हैं−अंतर्द्वीपज और कर्मभूमिज। अंतर्द्वीपों में उत्पन्न हुए अंतर्द्वीपज म्लेच्छ हैं और शक, यवन, शवर व पुलिंदादिक कर्मभूमिज म्लेच्छ हैं। ( राजवार्तिक/3/36/4/204/14, 26 )।