Test5
From जैनकोष
(गोम्मटसार जीवकाण्ड/ पूर्व परिचय/68/17 अब शून्य परिकर्माष्टक लिखिए हैं । शून्य नाम बिन्दी का है। ताके संकलनादिक (पूर्वोक्त आठों) कहिए है। तहां
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संकलन | अंक + 0 = अंक | वर्ग | (02) = 0 |
व्यकलन | अंक - 0 = अंक | वर्गमूल | (0½) = 0 |
गुणकार | अंक × 0 = 0 | घन | (03)) = 0 |
Example | अंक ÷ 0 = ∞ (अवक्तव्य) | घनमूल | ( ∛0) = 0 |