प्राणातिपातिकीक्रिया
From जैनकोष
एक आध्यात्मिक क्रिया । यह सांपरायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में एक क्रिया है । इससे प्राणों का वियोग होता है । हरिवंशपुराण 58. 68
एक आध्यात्मिक क्रिया । यह सांपरायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में एक क्रिया है । इससे प्राणों का वियोग होता है । हरिवंशपुराण 58. 68