कंस
From जैनकोष
- एक ग्रह-देखें - ग्रह।
- तोल का एक प्रमाण–देखें - गणित /I/१/२
- (ह.पु./पर्व/श्लो०) पूर्वभव सं. २ में वशिष्ठ नामक तापस था (३३/३६)। इस भव में राजा उग्रसेन का पुत्र हुआ(३३/३३)। मज्जोदरी के घर पला (१६/१९)। जरासंध के शत्रु को जीतकर जरासंध की कन्या जीवंद्यशा को विवाहा (३३/२-१२,१४)। पिता के पूर्व व्यवहार से क्रुद्ध हो उसे जेल में डाल दिया (३३/२७)। अपनी बहन देवकी वसुदेव के साथ गुरु दक्षिणा के रूप में परिणायी (३३/२९)। भावि मरण की आशंका से देवकी के छ: पुत्रों को मार दिया(३५/७)। अन्त में देवकी के ७वें पुत्र कृष्ण द्वारा मारा गया(३६/४५)।
- श्रुतावतार के अनुसार आप पाँचवें ११ अंगधारी आचार्य थे। समय –वी. नि. ४३६-४६८ (ई० पू० ९१-५९)– देखें - इतिहास / ४ / ४ ।