शंकित विपक्ष वृत्ति हेत्वाभास
From जैनकोष
पं.मु./6/33-34 शंकितवृत्तिस्तु नास्ति सर्वज्ञो वक्तृत्वात् ।33। सर्वज्ञत्वेन वक्तृत्वाविरोधात् ।34। = जो हेतु विपक्ष में संशयरूप से रहे, उसे शंकितवृत्ति अनैकांतिक कहते हैं । जैसे–सर्वज्ञ नहीं है, क्योंकि वक्ता है ।
अधिक जानकारी के लिए देखें व्यभिचार ।