षडावश्यक
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
मूलाचार / आचारवृत्ति / गाथा 220
समदा थओ य वंदण पाडिक्कमणं तहेव णादव्वं। पच्चक्खाण विसग्गो करणीयावासया छप्पि ॥22॥
= सामायिक, चतुर्विंशतिस्तव, वंदना, प्रतिक्रमण,प्रत्याख्यान, कायोत्सर्ग-ये छह आवश्यक सदा करने चाहिए।
साधु और श्रावकों के आवश्यक क्रियाओं के बारे में विस्तार से जानने के लिये देखें आवश्यक ।
पुराणकोष से
मुनियों के छ: आवश्यक कर्त्तव्य । उनके नाम हैं—सामायिक, वंदना, स्तुति, प्रतिक्रमण, स्वाध्याय और कायोत्सर्ग । महापुराण 61.119, हरिवंशपुराण 2. 128, 34.142-146