रोग
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
कुष्ठादि विशेष प्रकार के रोग हो जाने पर जिन दीक्षा की योग्यता नहीं रहती है।−देखें प्रव्रज्या - 1।
पुराणकोष से
एक परीषह । इसमें यह ‘‘शरीर रोगों का घर है’’― ऐसा चिंतन करते हुए रोग जनित असह्य वेदना होने पर मुनि उसके प्रतिकार की कामना नहीं करते । महापुराण 36.124