अपरिग्रह महाव्रत
From जैनकोष
पाँचवां महाव्रत । दस प्रकार के बाह्य तथा चौदह प्रकार के अंतरंग परिग्रह से विरक्त होना । हरिवंशपुराण 2.121, पांडवपुराण 9.87
पाँचवां महाव्रत । दस प्रकार के बाह्य तथा चौदह प्रकार के अंतरंग परिग्रह से विरक्त होना । हरिवंशपुराण 2.121, पांडवपुराण 9.87