अप्रत्याख्यान क्रिया
From जैनकोष
श्रावक की 25 क्रियाओं में से एक क्रिया
सर्वार्थसिद्धि/6/5/321-323/11 ..... संयमघातिकर्मोदयवशादनिवृत्तिरप्रत्याख्यानक्रिया। ता एता: पंचक्रिया:। समुदिता: पंचविंशतिक्रिया:।=.....संयम का घात करने वाले कर्म के उदय से त्यागरूप परिणामों का न होना अप्रत्याख्यानक्रिया है। ये पाँच क्रिया हैं। ये सब मिलकर पच्चीस क्रियाएँ होती हैं। ( राजवार्तिक/6/5/7/16 )।
- देंखें क्रिया -3.2।