अब्भोब्भव
From जैनकोष
1. आहार का एक दोष-देखें आहार - 4.1.1।
2. वसतिका का एक दोष
- भगवती आराधना / विजयोदया टीका/230/443/10
जब गृहस्थ अपने लिए घर बँधवाता है, तब कोठरी संयतों के लिए होगी’ ऐसा मन में विचारकर बँधवायी गयी वह वसतिका अब्भोब्भव दोष से दुष्ट है ।
देखें वसतिका - 8.1