अवधि दर्शन
From जैनकोष
पंचसंग्रह/प्राकृत/1/140 परमाणुआदियाइं अंतिमरखंध त्ति मुत्तदव्वाइं। तं ओहिदंसणं पुण जं पस्सइ ताइं पच्चक्खं।140।
= सब लघु परमाणु से आदि लेकर सर्वमहान् अंतिम स्कंध तक जितने मूर्तद्रव्य हैं, उन्हें जो प्रत्यक्ष देखता है, उसे अवधिदर्शन कहते हैं।140। (धवला 1/1,1,131/ गाथा 195-197/382), (धवला 7/5,5,56/ गाथा 20-21/100), (गोम्मटसार जीवकांड/484-486/889)।
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