वर्तमान नैगमनय
From जैनकोष
आलापपद्धति/5 त्कथ्यते यत्र स वर्तमाननैगमो। =अतीत कार्य में ‘आज हुआ है’ ऐसा वर्तमान का आरोप या उपचार करना भूत नैगमनय है। होने वाले कार्य को ‘हो चुका’ ऐसा भूतवत् कथन करना भावी नैगमनय है। और जो कार्य करना प्रारंभ कर दिया गया है, परंतु अभी तक जो निष्पन्न नहीं हुआ है, कुछ निष्पन्न है और कुछ अनिष्पन्न उस कार्य को ‘हो गया’ ऐसा निष्पन्नवत् कथन करना वर्तमान नैगमनय है। ( नयचक्र बृहद्/206-208 ); ( नयचक्र / श्रुतभवन दीपक/ पृष्ठ12)।
देखें नय - III.2 ।