परिभोग
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
सर्वार्थसिद्धि/7/21/361/7 परिभोगआच्छादनप्रावरणालंकारशयनासनगृहयानवाहनादि:। = ओढना-बिछाना, अलंकार, शयन, आसन, घर, यान और वाहन आदि परिभोग कहलाते हैं।
भोग संबंधित अधिक जानकारी के लिए देखें भोग ।
पुराणकोष से
आसन आदि वे वस्तुएँ जिनका बार-बार भोग किया जाता है । हरिवंशपुराण 58.155