असती पोष कर्म
From जैनकोष
प्राणियों को पीड़ा उत्पन्न करने वाले व्यापार को खरकर्म अर्थात् क्रूरकर्म कहते हैं। उसके पंद्रह प्रकारों में, यह आठवाँ प्रकार असतीपोष कर्म है।
सागार धर्मामृत/5/21-23 की टीका- असतीपोष: प्राणिघ्नप्राणिपोषोभाटिग्रहणार्थं दासपोषं च। = हिंसक प्राणियों का पालन-पोषण करना और किसी प्रकार के भाड़े की उत्पत्ति के लिए दास और दासियों का पोषण करना असतीपोष कर्म कहलाता है।
सावद्य के सम्बन्ध में जानकारी हेतु देखें सावद्य - 5।